लिख सकूँ तो - खूबसूरत हिंदी कविता

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लिख सकूँ तो

 लिख सकूँ तो_

प्यार लिखना चाहता हूँ ,

ठीक आदमजात-सा 

बेखौफ दिखना चाहता हूँ |



थे कभी जो सत्य, अब केवल कहानी

नर्मदा की धार-सी निर्मल रवानी,

पारदर्शी नेह की क्या बात करिए _

किस कदर बेलौस ये दादा भवानी |


प्यार के हाथों 

घटी दर पर बाजारों ,

आज बिकना चाहता हूँ |


आपदा-सा आए ये कैसे चरण हैं ?

बनकर पहेली मिले कैसे स्वजन हैं ?

मिलो तो उन ठाकुरों से मिलो खुलकर _

सताही की आयु मे भी 'सुमन' है 


कसौटी हैं वह कि जिस पर _

नेह के स्वर 

ताल यति गति लय

परखना चाहता हूँ|


'नईम' 




लिख सकूँ तो लिख सकूँ तो Reviewed by Triveni Prasad on अक्तूबर 28, 2020 Rating: 5

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