ख्वाव की उंगली पकड़कर
चल रही हूँ
हाँ कभी कभी थोड़ा डर रही हूँ
करके अपने ख्वाब पे विश्वास
जिससे जुडी है ना जाने कितनों कीआश
कोशिश है पहुँचने की मंजिल के पास |
लेकर मन में जीत की उम्मीद
आशा है पूरी कर लुंगी अपनी जिद
पर ये ख्वाब भी माँग रही कुर्बानी
ये कहानी है ना बन तू ज्यादा सयानी
छोड़ दे सारी खिंचा-तानी
और भूलकर सारे दुनिया की कहानी
बन जा तू सिर्फ मेरी मुरीद ओ "प्रीति रानी " |
-: प्रीति रानी :-
ख्वाव की उंगली पकड़कर
Reviewed by Triveni Prasad
on
अक्तूबर 31, 2020
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