"ye kisan hai kisan" hindi poem - खूबसूरत हिंदी कविता

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"ye kisan hai kisan" hindi poem

 ये किसान हैं किसान 


अरे ठीक से देखो ठीक से 

ये किसान हैं किसान

गर्मियों तपाए हुए,सर्दियों के गलाये हुए 

बरसात में पसीजे हुए,पतझड़ के सताये हुए,

नदियों के आक्रोश को झेलते, बदलो की बेवफाई से परेशान

हर मौसम के मारे बेचारे 

लोहे सी कठोरता से अभिषापित

पानी सी तरलता का वरदान लिए हुए 

किसी भी जीव को अपना पालतू बना लेने वाले 

हवा को अपनी पगड़ी में बाँध कर रखने वाले 

पृथ्वी की वो औलदे

जो अपनी माता की किसी इक्षा की पूर्ति के लिए 

मिट्टी को रौंद कर उससे अन्न उपजा देने वाले

ये किसान हैं किसान



अरे ठीक से देखो ठीक से 

ये किसान हैं किसान

आंधियो में जिंदगी की लौ को 

अपनी हथिलियों से बचाते 

उस दिए में बाती की तरह सुलगते हुए 

तेल की तरह जल कर भाप बनते हुए 

उस शम्मा को उलाये रखने वाले 

ये किसान हैं किसान



अरे ठीक से देखो ठीक से 

ये किसान हैं किसान

कुदाल से चीर कर 

ह्सुए से रेत कर 

खुर्पी से खुरच कर 

अपने हल से

भूख का हल खोज देने वाले 

अपने हथियार का बड़ी होशियारी से 

क़त्ल के आलावा 

हर कम में बारीकी से इस्तेमाल करने वाले

ये किसान हैं किसान


अरे ठीक से देखो ठीक से 

ये किसान हैं किसान

हमारे बीच हमारे आस-पास 

चलते फिरते वृक्ष 

आंधियो में झुमने वाले, बरसात में नहाने वाले 

सर्दियों में अलाव बन जाने वाले 

किसी तपस्वी सा अपने काम में ध्यानमग्न

जिनकी टहनियों पे हमारा समाज 

अपना घोसला बनाता है 

और जिनसे फलों को तोड़ कर 

राजनीति अपनी मंडियों को सजाती है...



अरे ठीक से देखो ठीक से 

ये किसान हैं किसान

ये जितनी देर में 

अपनी हथेली पर रगड़ कर खैनी बना लेते है 

ठीक उतना ही वक्त लगता है इन्हें 

अपने लिए नई सृष्टी का सृजन करने में...


अरे ठीक से देखो ठीक से 

ये किसान हैं किसान

हमारी पृथ्वी के सबसे पहले 

और अबतक के इकलौते लोकतान्त्रिक जीव

    आधुनिकता की जड़ में बैठे 

जो लगातार वैश्रवीकरण को सींच रहे है 

अपने खून और पसीने से...


अरे ठीक से देखो ठीक से 

ये किसान हैं किसान

हमारे समज को अपने शिशु की तरह 

अपनी छाती से लगाए कागज़ की नाव बनाते हुए

ताकि हमको भूख लगने पर 

वे उससे हमारा मनोरंजन कर सकें 

उसी कागज़ की नाव को हम सरकारकहते है 



अरे ठीक से देखो ठीक से 

ये किसान हैं किसान

इनके चेहरे पर पड़ी झुर्रियो में लिखा है 

हमारे देश का इतिहास 

इनकी खुरदरी हथेलियों में दर्ज है 

हमारे यहाँ का रिवाज 

इनकी एड़ियों में चिपकी हुई है 

कई विकास कीनीतियां...


"ye kisan hai kisan" hindi poem "ye kisan hai kisan" hindi poem Reviewed by Triveni Prasad on जून 05, 2021 Rating: 5

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