ये उदास-उदास आँखों - खूबसूरत हिंदी कविता
यों उदास मत रह तू
कर्म में निरत रह तू
प्राप्त देर से फल हो
चट नहीं बिगड़ रह तू
चाहतें अगर उत्तम
धौर्यशील नत रह तू
रह उदास मिलना क्या
क्यों जियें उदासी में |
यों बना बिगड़ जाता
तो उदास मत रह तू ||
-: Dulaar :-
ये उदास-उदास आँखों
Reviewed by
Triveni Prasad
on
अगस्त 10, 2021
Rating:
5
कोई टिप्पणी नहीं: