कैसे निजात पाऊं - खूबसूरत हिंदी कविता
अब जो नहीं बुलाते,
कैसे हठात् जाऊं,
लत लग गई तुम्हारी,
कैसे निजात पाऊँ |
मिलने अगर गया तो,
दिल में विषाद पाया ,
कुछ तो नहीं वहाँ पे,
अपनी विसात पाऊँ |
कैसे निजात पाऊं
Reviewed by
Triveni Prasad
on
अगस्त 08, 2021
Rating:
5
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