देखकर किसी का चेहराक्या सच में वो वही है जो हम समझ रहे या बनकरआया है किसी का मोहरा ?क्या वो सचमुच परवाह करता है हमारी या इसके पीछे है कोई साजिश गहरा ??आखिर इतना धुंधला क्यों हो गया है एक इन्सान काचेहरा ??जैसे सामने छाया हो कोहरा |
कोई टिप्पणी नहीं: