तय नहीं कर पाते हम || Hindi Poem - खूबसूरत हिंदी कविता

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तय नहीं कर पाते हम || Hindi Poem

 


देखकर किसी का चेहरा

क्या सच में वो वही है जो हम समझ रहे या बनकर

आया है किसी का मोहरा ?

क्या वो सचमुच परवाह करता है हमारी या इसके पीछे 

है कोई साजिश गहरा ??

आखिर इतना धुंधला क्यों हो गया है एक इन्सान का

चेहरा ??

जैसे सामने छाया हो कोहरा |

तय नहीं कर पाते हम || Hindi Poem तय नहीं कर पाते हम || Hindi Poem Reviewed by Triveni Prasad on नवंबर 18, 2020 Rating: 5

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