मैं तुझे हकीकतों में ढूंढता रहा पर तू मुझे कहीं ना मिली आँख खुली तो पता चला तू सपनों के पिंजरों में कैद थी|गर सपने के पिंजरों में कैद है कोई ख़ुशीतो उसे आजाद कीजिएयूँ घूँट-घूँट कर क्यों जीना ख्यालों में खुलकर जिन्दगी के मज़े लीजिएबनाकर सपने को हकीकत अपने साथ-साथ उनकी भी जिंदगी आबाद कीजिए|
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