" झारखण्ड "
बहुत सुनी है लेख कहानी, बहुत सुनी है आत्मकथा |
मैं झारखण्ड, मेरी भी सुन लो जीवनपथ की मेरी व्यथा |
मैं किशोर जिसने जीवन के दो दशकों को पार किया |
20 वर्ष जैसे-तैसे, गुमनामी के अंधेरे में जिया ||
खनिज संपदा हीरे-मोती, है रत्रों की खान |
फिर भी मुझको जग में, मिलता ना क्यूं मान |
राँची, बोकारो, दुमका ; ये सब मेरे अंग है |
झारखण्ड के हर जन का जीवन, हर दिन एक जंग है ||
क्या शांति समेटे मैं खुद में; टैगोर हिल, पारसनाथ |
सबसे बड़े हैं धाम यहाँ, देवघर के भोलेनाथ |
रजरप्पा तो सबने देखा, अब देखे इसका मार्ग |
ओरमांझी की सुंदर छटा, संग राष्ट्रीय राजमार्ग ||
अयोध्या तो सभी जानते, अब आएं आंजन धाम |
नेतरहाट तो जाकर देखें, नयन को मिलेगा विश्राम |
हिरनी, दशम जलप्रपात संग कोयलों की खदान |
खूंटी, पलामू, की समस्या का भी करे कोई निदान ||
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