जलवे बिखेरे दामिनी, गुण-रूप की ऐसी अदा
सद्भाव से दिल जीत लेती, वो रहीं वैसी सदा
सौभाग्य से ही हैं अभी, वो तो हमारे बीच में
है कौन जो मुस्कान से, होंगे नहीं उन पे फिदा
है 'शालिनी' संसार की ,लक्ष्मी कहूँ या शारदा
वो रूप दोनों एक में, अद्भुत कला पारंगता
तुम खोज लो ऐसी सखी, मिलती नहीं संसार में
खुद-दर्द को हिलमिल सहे, उपयुक्त सबके सर्वदा
है भूलना मुमकिन नहीं, इस जिंदगी की राह में
हो शुक्लपक्ष की चन्द्रमा, बढ़ती हुई ज्यों प्रतिपदा
चालीसवें अब वर्ष का, उत्सव मनाएं हम अभी
सुख-शांति की है कामना, करते सभी हम सर्वदा
आभार से निर्भार होना, चाहते हम हैं अगर
लेकिन करें कैसे मगर, कितने अभी है ऋण लदा
जन्म-दिवस शुभकामना
Reviewed by Triveni Prasad
on
मार्च 22, 2021
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