" भेंट का समय "
प्रतीक्षा के सभी क्षणमैंने बाजार में घूमते हुएकपड़े फीचते हुएराशिफल बाँचते हुए
औसत काम करते हुए बिता दिए
मैं चाहता था कि
तुमसे भेंट का समय
अचानक आए
ताकि वह सर्व श्रेष्ठ हो
प्रतिक्षा के उन्माद से अछूता
कुँवारे सुख से लता-फदा
स्याह-सफेद कल्पनाओं से मुक्त |
-: अमित तिवारी :-
भेंट का समय ।। Hindi Poem
Reviewed by Triveni Prasad
on
नवंबर 14, 2020
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