ये बात बहुत अच्छे से समझ ली है मैंने
कोई गलती ना करके की गलती की है मैंने |
पढ़ो, क्या खूब लिखा है मुस्तकबिल मेरा
कि मरने के बाद भी खुदकुशी की है मैंने |
मैं बोलूं तो बदनाम और चुप रहूं तब भी
जुबाँ से क्या गज़ब गुस्ताखी की है मैंने |
ख़ुद की ही नजरों में गिराया था आइने ने
बता दो उसे, बग़ावत की तैयारी की है मैंने |
और वो सब तो इतने में ही खफ़ा हो गये !
अरे ! अभी तो आधी ही शायरी की है मैंने |
"क्या बोलूँ" || Hindi Poem
Reviewed by Triveni Prasad
on
नवंबर 04, 2020
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