बहुत कुछ कहता है तुमसे
आ ! एक जाम हो जाए |
आना अगर
तो फुर्सत से आना
कहीं ! पल में ना बातें ये
तमाम हो जाएं |
निगाहों से बच कर
मिलना वहां !
कि हस्ती ये तेरी
बेनाम हो जाए |
शब को ओढ़ के
पर्दा रखना
कहीं ! चर्चा ना जाए |
हो सहरा से गुजरी
फ़िजाओं का साथ
हम कुदरत के संग
बेलगाम हो जाएं |
जलते अलाव को
सेकेबदन
कहीं अपना वो ऐसा
मुकाम हो जाए |
-: शबराज :-
छुप-छुप कर प्यार कैसे करते है ( Lovely poem )
Reviewed by Triveni Prasad
on
नवंबर 03, 2020
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