छुप-छुप कर प्यार कैसे करते है ( Lovely poem ) - खूबसूरत हिंदी कविता

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छुप-छुप कर प्यार कैसे करते है ( Lovely poem )

 बहुत कुछ कहता है तुमसे 

आ ! एक जाम हो जाए |

आना अगर 

तो फुर्सत से आना 

कहीं ! पल में ना बातें ये 

तमाम हो जाएं |



निगाहों से बच कर 

मिलना वहां !

कि हस्ती ये तेरी 

बेनाम हो जाए |

शब को ओढ़ के 

पर्दा रखना 

कहीं ! चर्चा ना जाए |


हो सहरा से गुजरी

फ़िजाओं का साथ 

हम कुदरत के संग 

बेलगाम हो जाएं |

जलते अलाव को 

सेकेबदन 

कहीं अपना वो ऐसा 

मुकाम हो जाए |

-: शबराज :-

छुप-छुप कर प्यार कैसे करते है ( Lovely poem ) छुप-छुप कर प्यार कैसे करते है ( Lovely poem ) Reviewed by Triveni Prasad on नवंबर 03, 2020 Rating: 5

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